उत्तर प्रदेश की विविधतापूर्ण जलवायु सभी प्रकार की बागवानी फसलो के उत्पादन के लिए उपयुक्त है। औद्याानिकी के क्षेत्र मे देश के कुल उत्पादन मे उत्तर प्रदेश का अग्रणी स्थान है। प्रदेश की लगभग 92 प्रतिशत छोटी जोत के किसानो के लिए बागवानी फसले इकाई क्षेत्र से अधिक आय, रोजगार एवं पोंषण उपलब्ध कराने मे सक्षम है। बागवानी फसलो के निरन्तर बढ़ते हुए महत्व से उत्पापदक भिज्ञ हैं और उपलब्ध संसाधनो के उपयोग ..
बागवानी फसलो का कृषि एवं संवर्गीय क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पादन योगदान मे महत्वपूर्ण योगदान है। बढ़ती मांग तथा कृषि मे महत्वपूर्ण योगदान के कारण ही बागवानी फसले प्राथमिकता का क्षेत्र बन रहा है। बागवानी फसलो के व्यवसायीकरण एवं कृषि के विविधीकरण से प्रदेश की महत्वपूर्ण बागवानी फसलो के अन्तर्गत क्षेत्रफल में विस्तार, पुराने आम, अमरुद एवं आवंला के अनुत्पादक बागो के जीर्णोद्धार, गुणवत्तायुक्त रोपण सामग्री का उत्पादन, फसल तुड़ाई उपरान्त प्रबन्ध्ान एवं अन्य कार्यक्रमों को कार्यान्वित कराकर प्रदेश मे बागवानी के विकास के लिए प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिकता दी जा रही है।
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रदेश फल, शाकभाजी, आलू, पुष्प, मसाले, औषधी एवं सगंध पौधो, पान विेकास के साथ-साथ सहायक उद्यम के रुप मे मौनपालन, मशरुम उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, पान की खेती के लिए विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित कर सतम् विकास हेतु प्रयास किये जा रहे है। प्रदेश में एकीकृत बागवानी विेकास मिशन, ड्रिप/स्प्रिंकलर सिचाई की स्थापना, औषधीय पौध मिशन, अनुसूचित जाति/जनजाती बाहुल्य क्षेत्रो में बागवानी विकास, राष्ट्रीय कृषि विकास याजना एवं खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में मानव संसाधन विकास हेतु कार्यक्रमों का कियान्वयन किया जा रहा है।